गल मोत्यां को हार, सिर चुनड़ चमकदार | माता के भजन | भक्ति संध्या (Gal Motiyan Ko Haar Sir Chunad Chamakdar Lyrics | Mata Ke Bhajan | Bhakti Sandhya)
गल मोत्यां को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी ॥
थारे हाथा सोणी चंगी,
माँ मेहंदी रची सुरंगी,
चुडले की खन खन न्यारी,
झांकी थारी सतरंगी,
मन मेरो मोह लियो है,
थारी पायल की झंकार,
गल मोत्या को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी ॥
थारे माथे बिंदिया चमके,
नथनी में हीरो दमके,
थारे देख देख कर दादी,
भक्ता को मनडो हरखे,
जादू सो चढ़ गयो है,
मैं भूली माँ घर बार,
गल मोत्या को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी ॥
थाने ‘स्वाति’ निरखन ताई,
थारे मन्दरिये में आई,
कवे ‘हर्ष’ देख कर थाने,
सुध बुध सारी बिसराई,
पलभर ना हटे निजरा,
मैं निरखु बारम्बार,
गल मोत्या को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी ॥
गल मोत्यां को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी ॥