झुंझुनू में लगाकर बैठी जो दरबार है | माता के भजन | भक्ति संध्या (Jhunjhu Me Laga Kar Baithi Jo Darbar Hai Lyrics | Mata Ke Bhajan | Bhakti Sandhya)
झुंझुनू में लगाकर बैठी जो दरबार है,
वो झुँझन वाली मेरी पालनहार है,
उनके ही इशारों चलता ये संसार है,
पालनहार है खेवनहार है,
झुंझनु में लगाकर बैठी जो दरबार है,
वो झुँझन वाली मेरी पालनहार है ॥
बन जाए बिगड़ी सबकी,
ये बिगड़े काम बनाती,
बच्चों को दादी अपने,
है पलकों पर बिठाती,
इनकी ममता के आगे सब बेकार है,
पालनहार है खेवनहार है,
झुंझनु में लगाकर बैठी जो दरबार है,
वो झुँझन वाली मेरी पालनहार है ॥
दुनिया में सतिया बहुत हैं,
सिरमौर है मेरी दादी,
है कलयुग की अवतारी,
जिसे पूजे दुनिया सारी,
भक्तों के भरती ये तो भण्डार है,
पालनहार है खेवनहार है,
झुंझनु में लगाकर बैठी जो दरबार है,
वो झुँझन वाली मेरी पालनहार है ॥
दुनिया ठुकराए जिसको,
उसे दादी गले लगाती,
जग में पहचान बने,
इस लायक मैया बनाती,
‘अशोक’ के सर पे भी माँ तेरा हाथ है,
पालनहार है खेवनहार है,
झुंझनु में लगाकर बैठी जो दरबार है,
वो झुँझन वाली मेरी पालनहार है ॥
झुंझुनू में लगाकर बैठी जो दरबार है,
वो झुँझन वाली मेरी पालनहार है,
उनके ही इशारों चलता ये संसार है,
पालनहार है खेवनहार है,
झुंझनु में लगाकर बैठी जो दरबार है,
वो झुँझन वाली मेरी पालनहार है ॥